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Thursday, July 2, 2020

Guru Purnima 2020: गुरु पूर्णिमा पर जाने गुरु का महत्व

गुरु पूर्णिमा 2020 : गुरु पूर्णिमा पर जाने गुरु का महत्व

Guru purnima 2020

गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के साथ आषाढ़ पूर्णिमा भी कहते हैं। इस साल गुरू पूर्णिमा का पर्व 5 जुलाई रविवार को है, तो आइए जानते है 

गुरु पूर्णिमा का महत्व:

गुरु पूर्णिमा को व्‍यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का अवतरण हुआ था। सनातन संस्कृति के अठारह पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। उन्होंने ने ही वेदों की रचना कर उनको अठारह भागों में विभक्त किया था। अस कारण उनका नाम वेद व्यास पड़ा था। महर्षि वेद व्यास को आदि गुरु भी कहा जाता है।


सनातन संस्कृति में गुरु का काफी महिमामंडन किया गया है। गुरु की कृपा से ज्ञान प्राप्त होता है और उनके आशीर्वाद से सभी सुख-सुविधाओॆ, बुद्धिबल और एश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसलिए भारतवर्ष गुरु की दर्जा सबसे बड़ा माना गया है और उनको पूज्यनीय माना गया है। इसलिए गुरु के सम्मान में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।

पूर्णिमा का पर्व गुरु को समर्पित है. मान्यता है कि बिना गुरु के ज्ञान के प्राप्ति नहीं होती है। सच्चे गुरु की जब प्राप्ति हो जाती है तो जीवन से सभी प्रकार के अंधकार मिट जाते हैं।

लेकिन अब इसके साथ ही हमारे मन में सवाल भी उठता है कि सच्चा गुरु कौन है??
जो हमारे जीवन के सभी अंधकार मिटा देगा..?

हमारी पवित्र सतग्रंथ सच्चे सतगुरु का का समर्थन करते हैं। गुरू भी पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता। 
वर्तमान समय में इतने सारे गुरु हैं कि हम उन में कैसे पहचान करें कि सच्चा सतगुरु कौन है??
क्योंकि हम तो जिस भी सन्त से ज्ञान सुनते हैं, वह पूर्ण सतगुरू लगता है। तो इसका आधार है हमारे पवित्र शास्त्र..!
जिससे हम सच्चे गुरु की पहचान कर सकते है।
Guru purnima in India

जी हां हमारे पवित्र शास्त्र जिनमें पूर्ण सच्चे सतगुरु की पहचान व उसके लक्षण बताये है।

शास्त्रों में श्रीमद्भगवद्गीता जिसमें पूर्ण संत अर्थात पूर्ण गुरु के बारे में बताया है कि वह पूर्ण गुरु वह होगा जो गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 को अच्छे से समझा देगा अर्थात उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष का अच्छे से वर्णन कर देगा वह सच्चा सतगुरु (पूर्ण संत) होगा।

वर्तमान में पूर्ण संत:-

वर्तमान में पूर्ण संत कौन है यह जानने के लिए हमने खूब छानबीन की हमारे ग्रंथों में वेदों में पुराणों में सोशल मीडिया पर सभी जगह छानबीन करने पर हमने पाया है कि एक संत है जो हमारे वेदों के अनुसार भक्ति साधना बता रहे हैं और उनके अनुयाई उनके ज्ञान का जोर शोर से प्रचार कर रहे हैं वही सच्चे गुरु हैं।

 वर्तमान में पूर्ण संत- संत रामपाल जी महाराज है।


सूक्ष्मवेद में गुरू के लक्षण बताए हैं :-
गरीब, सतगुरू के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद।
चार वेद छः शास्त्रा, कह अठारह बोध।।

गरीबदास जी ने गुरू की पहचान बताई है कि जो सच्चा गुरू अर्थात् सतगुरू होगा, वह ऐसा ज्ञान बताता है कि उसके वचन आत्मा को आनन्दित कर देते हैं, बहुत मधुर लगते हैं क्योंकि वे सत्य पर आधारित होते हैं। कारण है कि सतगुरू चार वेदों तथा सर्व शास्त्रों का ज्ञान विस्तार से कहता है।

गुरु पूर्णिमा 2020

यही प्रमाण परमेश्वर कबीर जी ने सूक्ष्मवेद में कबीर सागर के अध्याय
‘‘जीव धर्म बोध‘‘ में पृष्ठ 1960 पर दिया है” :-

गुरू के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्रा को ज्ञाना।।
दुजे हरि भक्ति मन कर्म बानि, तीजे समदृष्टि करि जानी।।
चौथे वेद विधि सब कर्मा, ये चार गुरू गुण जानों मर्मा।।

सरलार्थ :- कबीर साहेब जी ने कहा है कि जो सच्चा गुरू होगा, उसके
चार मुख्य लक्षण होते हैं :-
1. सब वेद तथा शास्त्रों को वह ठीक से जानता है।
2. दूसरे वह स्वयं भी भक्ति मन-कर्म-वचन से करता है अर्थात् उसकी कथनी
और करनी में कोई अन्तर नहीं होता।
3. तीसरा लक्षण यह है कि वह सर्व अनुयाईयों से समान व्यवहार करता है,
भेदभाव नहीं रखता।
4. चौथा लक्षण यह है कि वह सर्व भक्ति कर्म वेदों (चार वेद तो सर्व जानते हैं 1. ऋग्वेद, 2. यजुर्वेद, 3. सामवेद, 4. अथर्ववेद तथा पाँचवां वेद सूक्ष्मवेद है,
इन सर्व वेदों) के अनुसार करता और कराता है।
गुरु पूर्णिमा 2020

तो आज हम सब पढ़े-लिखे हैं तो इसका निर्णय अपने विवेक से कर सकते हैं। हमारे शास्त्र हमारा आधार और प्रमाण है। हमारे शास्त्रों में जो भी सच्चे सतगुरु की पहचान बताइए वर्तमान में वह कौन सा गुरु है जो इन सभी बातों पर खरा उतरता है।

गुरु के महत्व को बताते हुए संत कबीर का एक दोहा बड़ा ही प्रसिद्ध है। जो इस प्रकार है - 

गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥

इसके अलावा संस्कृत के प्रसिद्ध श्लोक में गुरु को परम ब्रह्म बताया गया है -
  
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। 
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

कबीर, गुरू बिन काहु न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छडे़ मूढ़ किसाना।
कबीर, गुरू बिन वेद पढै़ जो प्राणी, समझै न सार रहे अज्ञानी।।

इसलिए गुरू जी से वेद शास्त्रों का ज्ञान पढ़ना चाहिए जिससे सत्य भक्ति
की शास्त्रानुकूल साधना करके मानव जीवन धन्य हो जाए।

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