Parle-G Company [Hindi] लोकडाउन में सब बन्द पर पारले जी की बिक्री जबरदस्त।
82 साल का रिकॉर्ड टूटा।
कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान जब एक तरफ अधिकतर कंपनियों को बिक्री में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा उस समय पारले जी बिस्किट की बहुत ही अधिक बिक्री हुई। कंपनी ने पूरी जानकारी तो जारी नहीं किया है, लेकिन बताया है कि मार्च, अप्रैल और मई में पिछले 8 दशक में पारले जी की सर्वाधिक बिक्री हुई है। 1938 में कंपनी खुलने के बाद से सबसे अधिक बिक्री हुई है। इकनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
माना जा रहा है कि 5 रुपए का पारले जी बिस्किट संकट के दौरान प्रवासी श्रमिकों के लिए सहारा बना। हजारों किलोमीटर पैदल सफर पर निकले प्रवासी श्रमिकों ने इसकी काफी खरीद की तो एनजीओ से लेकर आम लोगों तक ने गरीब-बेसहारा लोगों को बिस्किट बांटे। आम लोगों ने भी लॉकडाउन की घोषणा के साथ बुरे समय की आशंका को देखते हुए बिस्किट खरीदकर घरों में रखना सही समझा। यह बिस्किट देश में काफी लोकप्रिय है और घर-घर में लोग चाय के साथ यह बिस्किट खाना पसंद करते हैं।
कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान जब एक तरफ अधिकतर कंपनियों को बिक्री में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा उस दौरान पारले जी बिस्किट की रिकॉर्ड बिक्री हुई। कंपनी ने विस्तृत डेटा तो जारी नहीं किया है, लेकिन बताया है कि मार्च, अप्रैल और मई में पिछले 8 दशक में पारले जी की सर्वाधिक बिक्री हुई है। 1938 में कंपनी खुलने के बाद से सबसे अधिक बिक्री हुई है। इकनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी मां को हुआ कोरोना
माना जा रहा है कि 5 रुपए का पारले जी बिस्किट संकट के दौरान प्रवासी श्रमिकों के लिए सहारा बना। हजारों किलोमीटर पैदल सफर पर निकले प्रवासी श्रमिकों ने इसकी काफी खरीद की तो एनजीओ से लेकर आम लोगों तक ने गरीब-बेसहारा लोगों को बिस्किट बांटे। आम लोगों ने भी लॉकडाउन की घोषणा के साथ बुरे समय की आशंका को देखते हुए बिस्किट खरीदकर घरों में रखे। पारले जी बिस्किट देश में काफी लोकप्रिय है और घर-घर में लोग चाय के साथ यह बिस्किट खाना पसंद करते हैं।
इस प्रॉडक्ट्स के कैटिगरी हेड मयंक शाह ने कहा, ''हमने अपना मार्केट शेयर 5% बढ़ा लिया है और इस ग्रोथ का 80-90% योगदान केवल पारले-जी का है।
24 मार्च को लॉकडाउन की शुरुआत के दिनों के बाद पारले जैसी कंपनियों ने दोबारा उत्पादन शुरू कर दिया था। फैक्ट्री खुलने के बाद कंपनियों का फोकस लोकप्रिय उत्पादों के उत्पादन और अधिक बिक्री पर था।
क्या कहना एक्सपर्ट का?
हाल ही में आपने देखा होगा एफएमसीजी पर एक सर्वे करने वाले क्रिसिल रेटिंग्स के सीनिय डायरेक्टर अनुज सेठी ने कहा, ''जो भी उपलब्ध था, ग्राहक खरीद रहे थे, चाहे वह महंगा हो या सस्ता। कुछ प्लेयर्स ने महंगे उत्पादों पर भी फोकस किया होगा।'' उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़-दो साल से कंपनियां ग्रामीण इलाकों में पहुंच बनाने में जुटी थीं, महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन में उनके लिए यह भी फायदेमंद साबित हुआ।
सभी बिस्किट की बढ़ी बिक्री
जानकारों का कहना है कि पिछले तीन महीनों में हर अलग-अलग कीमत वाले बिस्किट बिक्री में जोरदार उछाल आया है। ब्रिटेनिया, गुड डे, टाइगर, मिल्क बिकिस, बरबन, मैरी एंड सीक की बिक्री भी लॉकडाउन के दौरान बहुत बढ़ी है।
अधिकतर बिस्किट की बिक्री में ज्यादा से ज्यादा वृद्धि हुई है
'बहुतों के पास बिस्किट के अलावा नहीं था कुछ'
पारले जी सस्ता है इसलिए ज्यादा बिक्री हुई। पारले-जी ब्रैंड पर फोकस किया, क्योंकि इसकी सभी वर्ग केग्राहकों में अच्छी पहुंच है। कंपनी ने एक सप्ताह के भीतर अपने डिस्ट्रीब्यूशन चैनल को भी एक्टिव किया, ताकि हर जगह उत्पाद उपलब्ध रहे। शाह ने कहा, ''लॉकडाउन के दौरान पारले जी कई लोगों के लिए सरल भोजन बना। बहुत से लोगों के पास इसके अलावा कुछ नहीं था। यह आम आदमी का बिस्किट है। जो लोग ब्रेड नहीं खरीद सकते हैं वे पारले-जी खरीदते हैं।'' शाह ने बताया कि उन्हें कई राज्यों सरकारों और एनजीओ से भी ऑर्डर मिले।
82 साल का रिकॉर्ड टूटा।
कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान जब एक तरफ अधिकतर कंपनियों को बिक्री में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा उस समय पारले जी बिस्किट की बहुत ही अधिक बिक्री हुई। कंपनी ने पूरी जानकारी तो जारी नहीं किया है, लेकिन बताया है कि मार्च, अप्रैल और मई में पिछले 8 दशक में पारले जी की सर्वाधिक बिक्री हुई है। 1938 में कंपनी खुलने के बाद से सबसे अधिक बिक्री हुई है। इकनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
माना जा रहा है कि 5 रुपए का पारले जी बिस्किट संकट के दौरान प्रवासी श्रमिकों के लिए सहारा बना। हजारों किलोमीटर पैदल सफर पर निकले प्रवासी श्रमिकों ने इसकी काफी खरीद की तो एनजीओ से लेकर आम लोगों तक ने गरीब-बेसहारा लोगों को बिस्किट बांटे। आम लोगों ने भी लॉकडाउन की घोषणा के साथ बुरे समय की आशंका को देखते हुए बिस्किट खरीदकर घरों में रखना सही समझा। यह बिस्किट देश में काफी लोकप्रिय है और घर-घर में लोग चाय के साथ यह बिस्किट खाना पसंद करते हैं।
कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान जब एक तरफ अधिकतर कंपनियों को बिक्री में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा उस दौरान पारले जी बिस्किट की रिकॉर्ड बिक्री हुई। कंपनी ने विस्तृत डेटा तो जारी नहीं किया है, लेकिन बताया है कि मार्च, अप्रैल और मई में पिछले 8 दशक में पारले जी की सर्वाधिक बिक्री हुई है। 1938 में कंपनी खुलने के बाद से सबसे अधिक बिक्री हुई है। इकनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी मां को हुआ कोरोना
माना जा रहा है कि 5 रुपए का पारले जी बिस्किट संकट के दौरान प्रवासी श्रमिकों के लिए सहारा बना। हजारों किलोमीटर पैदल सफर पर निकले प्रवासी श्रमिकों ने इसकी काफी खरीद की तो एनजीओ से लेकर आम लोगों तक ने गरीब-बेसहारा लोगों को बिस्किट बांटे। आम लोगों ने भी लॉकडाउन की घोषणा के साथ बुरे समय की आशंका को देखते हुए बिस्किट खरीदकर घरों में रखे। पारले जी बिस्किट देश में काफी लोकप्रिय है और घर-घर में लोग चाय के साथ यह बिस्किट खाना पसंद करते हैं।
इस प्रॉडक्ट्स के कैटिगरी हेड मयंक शाह ने कहा, ''हमने अपना मार्केट शेयर 5% बढ़ा लिया है और इस ग्रोथ का 80-90% योगदान केवल पारले-जी का है।
उत्पादन हो रहा है लॉक डाउन में-82-year-old #ParleG books 'best sales' in #Covid times. Though the makers of Parle-G brand, refused to share specific sales numbers, they affirmed that March, April & May have been their best months in over eight decades. (From @EconomicTimes) pic.twitter.com/7LVfvRmsoB— ET NOW (@ETNOWlive) June 9, 2020
24 मार्च को लॉकडाउन की शुरुआत के दिनों के बाद पारले जैसी कंपनियों ने दोबारा उत्पादन शुरू कर दिया था। फैक्ट्री खुलने के बाद कंपनियों का फोकस लोकप्रिय उत्पादों के उत्पादन और अधिक बिक्री पर था।
क्या कहना एक्सपर्ट का?
हाल ही में आपने देखा होगा एफएमसीजी पर एक सर्वे करने वाले क्रिसिल रेटिंग्स के सीनिय डायरेक्टर अनुज सेठी ने कहा, ''जो भी उपलब्ध था, ग्राहक खरीद रहे थे, चाहे वह महंगा हो या सस्ता। कुछ प्लेयर्स ने महंगे उत्पादों पर भी फोकस किया होगा।'' उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़-दो साल से कंपनियां ग्रामीण इलाकों में पहुंच बनाने में जुटी थीं, महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन में उनके लिए यह भी फायदेमंद साबित हुआ।
सभी बिस्किट की बढ़ी बिक्री
जानकारों का कहना है कि पिछले तीन महीनों में हर अलग-अलग कीमत वाले बिस्किट बिक्री में जोरदार उछाल आया है। ब्रिटेनिया, गुड डे, टाइगर, मिल्क बिकिस, बरबन, मैरी एंड सीक की बिक्री भी लॉकडाउन के दौरान बहुत बढ़ी है।
अधिकतर बिस्किट की बिक्री में ज्यादा से ज्यादा वृद्धि हुई है
'बहुतों के पास बिस्किट के अलावा नहीं था कुछ'
पारले जी सस्ता है इसलिए ज्यादा बिक्री हुई। पारले-जी ब्रैंड पर फोकस किया, क्योंकि इसकी सभी वर्ग केग्राहकों में अच्छी पहुंच है। कंपनी ने एक सप्ताह के भीतर अपने डिस्ट्रीब्यूशन चैनल को भी एक्टिव किया, ताकि हर जगह उत्पाद उपलब्ध रहे। शाह ने कहा, ''लॉकडाउन के दौरान पारले जी कई लोगों के लिए सरल भोजन बना। बहुत से लोगों के पास इसके अलावा कुछ नहीं था। यह आम आदमी का बिस्किट है। जो लोग ब्रेड नहीं खरीद सकते हैं वे पारले-जी खरीदते हैं।'' शाह ने बताया कि उन्हें कई राज्यों सरकारों और एनजीओ से भी ऑर्डर मिले।
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