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Wednesday, November 25, 2020

Guru Nanak Jayanti 2020: गुरु नानक जयंती पर जानिए कौन थे उनके गुरु, जिंदा महात्मा के रूप में नानक जी को मिले थे परमात्मा

 गुरु नानक जयंती 2020:  गुरु नानक जयंती पर जानिए कौन थे उनके गुरु, जिंदा महात्मा के रूप में नानक जी को मिले थे परमात्मा

 जिंदा महात्मा के रूप में नानक जी को मिले थे परमात्मा
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सिख संप्रदाय के पहले गुरु गुरु नानक देव जी जयंती हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है इस वर्ष 30 नवंबर को नानक जयंती है नानक देव जी का जन्म 1476 में कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। 

नानक देव जी ने निर्गुण उपासना पर जोर दिया और उसका ही प्रचार प्रसार किया वह मूर्ति पूजा नहीं करते थे और ना ही मानते थे ईश्वर एक है वह शक्तिमान है वही सत्य है उसी में पूरा विश्वास रखते थे गीता अनुसार भक्ति करते थे और उसी आधार पर गुरु की तलाश की थी उन्होंने



गुरु नानक जी के उपदेश

गुरु नानक जी अपने अनुयायियों को 10 उद्देश्य दिया करते थे सदैव प्रासंगिक बने रहेंगे गुरु नानक जी का शिक्षा का मूल उद्देश्य यही है कि परमात्मा एक, अनंत परमात्मा सर्वशक्तिमान और सत्य है 

वह सर्वत्र व्याप्त है मूर्ति पूजा आदि निरर्थक है नाम स्मरण सर्वोपरि तत्व है नाम गुरु के द्वारा ही प्राप्त होता है गुरु नानक की वाणी भक्ति ज्ञान और वैराग्य से ओतप्रोत हैं उन्होंने अपने अनुयायियों को जीवन की दी है जो इस प्रकार है 

ईश्वर एक है सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।

ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है

ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।

ईमानदारी से और मेहनत करके उदर पूर्ति करनी चाहिए।

बुरा कार्य करने के बारे में न सोचे और ना किसी को सताए

सदैव प्रसन्न रहना चाहिए 

भूत पूजा और पित्र पूजा नहीं करनी चाहिए

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गुरु नानक जयंती 2020:  नानक जी की बहन जानकी के घर सुल्तानपुर में रहते थे और मोदी खाने में नौकरी करते थे वह नियम अनुसार गई नदी में स्नान करने जाते थे नानी जी की परमात्मा में गहन आस्था थी किंतु है सच्चे पातशाह की भक्ति नहीं कर रहे थे। उन्हें पूर्ण परमात्मा के दर्शन तब हुए जब वह बेई नदी में नियम अनुसार स्नान करने हेतु गए। पूर्व जन्म में नानक जी सतयुग में राजा अंबरीष थे जो विष्णु जी के उपासक थे। युग में यही आत्मा राजा जनक बने। जो सीता जी के पिता थे, जनक जी विष्णु जी के उपासक हुए उस समय सुखदेव ऋषि जो महर्षि वेदव्यास के पुत्र थे राजा जनक के शिष्य बनने आए थे। पूर्व जन्म में गुरु नानक देव जी राजा थे। सैकड़ों हजारों नोकर हुआ करते थे किंतु अपने पुण्य स्वर्ग आदि में समाप्त  होने के कारण उन्हें साधारण मनुष्य के जीवन में आए और मोदी खाने में नौकरी करने लगे।

 प्रभु के चिंतन में बैठे रहते थे ऐसे ही एक सुबह बेई नदी में स्नान करने गए हुए थे। वहीं उन्हें परमात्मा कबीर देव जिंदा पीर के रूप में मिले।


 सबसे प्रथम वार्ता में 

जिंदा पीर के रूप में परमेश्वर मिले उन्होंने ज्ञान चर्चा की और उन्हें प्रमाण देकर बताया कि ब्रह्मा विष्णु महेश की जन्म मरण के चक्र में है एवं विष्णु जी पूर्ण परमात्मा नहीं है परमात्मा ने नानक जी को कहा कि मुझे अपना गुरु बना ले 

जिंदा पीर के रूप में कबीर साहिब जी ने नानक को सर्व सृष्टि रचना सुनाई और सर्व ग्रंथों का ज्ञान करवाया। नानक जी की रुचि नहीं बनी। उनकी अरुचि देखकर कबीर परमात्मा चले गए। आसपास के लोगों ने पूछा की भक्त कौन था जो आपसे चर्चा कर रहा था नानक जी ने कहा वह काशी का कोई नीच जुलाहा था वह बेतुकी बातें कर रहा था और कह रहा था कि मैं गलत साधना कर रहा हूं जब मैंने बताना शुरू किया तो वह हार मान कर चला गया सिखों ने इस वार्ता से नानक जी को कबीर जी का गुरु मान लिया जो कि असत्य है 

गुरु नानक जयंती 2020: 

नानक जी को इतनी वार्ता के पश्चात इतना भान अवश्य हो गया था कि वह सत्य साधना नहीं कर रहे हैं गीता का ज्ञान भी उससे कुछ भिन्न है जो अब तक बताया गया है यह हृदय से प्रार्थना करते रहे उसी संत के एक बार और दर्शन हो जाए जिससे कुछ प्रश्नों का अवश्य  उत्तर प्राप्त कर लूंगा


गुरु नानक जयंती 2020: नानक जी की कबीर परमेश्वर जी से दूसरी वार्ता हुई।

कुछ समय पश्चात जिंदा पीर रूप में कबीर साहेब फिर मिले। इस बार वे केवल नानक जी को दिखाई दे रहे थे परमात्मा कबीर जी ने कहा कि आप मेरी बात पर विश्वास करें। पूर्ण परमात्मा की राजधानी तो सतलोक है नानक जी ने कहा कि मैं आपकी परीक्षा लेना चाहता हूं मैं इस दरिया में छुप जाऊंगा और आप मुझे ढूंढ निकालना। ऐसा कहकर नानक जी ने डुबकी लगाई और मछली का रूप धारण कर लिया परमेश्वर कबीर जी ने नानक जी को मछली रूप में पकड़ लिया और फिर से नानक जी बना दिया ।


गुरु नानक जयंती 2020: नानक जी के गुरु कबीर साहिब जी थे।

इस पर नानक जी करबद्ध होकर बोले कि परमेश्वर में मछली बन गया था आपने मुझे कैसे खोज लिया तो आप सूक्ष्म से सूक्ष्म  जानने वाले हो, नानक जी कबीर साहेब जी से वार्ता करने को तैयार हुए। तब कबीर साहिब जी जिंदा परमात्मा के रूप में उन्हें साथ लेकर गए सारी सृष्टि रचना से परिचित करवाया। सचखंड ले जाने में और वहां की वास्तविक स्थिति से परिचित करवाने में 3 दिन लग गए। 3 दिन पश्चात कबीर साहिब ने नानक जी की आत्मा को वापस शरीर में छोड़ दिया। यहां पृथ्वी पर सभी नानक जी को ना पाकर मृत जान चुके थे।


 इसी का प्रमाण पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहिब के राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर


एक सुआन दुई सुआनी नाल, भलके भौंकही सदा बिआल।

कुड़ छुरा मुठा मुरदार, धाणक रूप रहा करतार।।1।।

मै पति की पंदि न करनी की कार। उह बिगड़ै रूप रहा बिकराल।।

तेरा एक नाम तारे संसार, मैं ऐहा आस एहो आधार।

मुख निंदा आखा दिन रात, पर घर जोही नीच मनाति।।

काम क्रोध तन वसह चंडाल, धाणक रूप रहा करतार।।2।।

फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।

खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।3।।

मैं कीता न जाता हरामखोर, उह किआ मुह देसा दुष्ट चोर।

नानक नीच कह बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।4।।


अर्थात मन रूपी कुत्ता और उसके साथ दो आशा व तृष्णा रूपी कुतिया भौंकती रहती है तथा नित नई नई आशाएं उत्त्पन्न होती रहती हैं। इसे मारना केवल सत्यसाधना से ही सम्भव था जिसका कबीर साहेब से ज्ञान प्राप्त करके समाधान हुआ। नानक जी ने आगे कहा कि उस सत्य साधना के बिना न तो साख थी और न ही सही भक्ति कमाई थी। नानक जी कबीर परमात्मा को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि तुम्हारा एक नाम मन्त्र इस संसार से मुक्ति दिलाएगा मेरे पास केवल तेरा ही नाम और तू ही आधार है अन्य कुछ भी नहीं। पहले अनजाने में निंदा भी की होगी क्योंकि बहुत काम क्रोध इस चंडाल रूपी तन में रहते हैं। नानक जी कहते हैं कि मुझे धाणक रुपी परमात्मा ने आकर तार दिया और काल से छुटाया।


इस सुंदर परमात्मा की मोहिनी सूरत को कोई नहीं पहचान सकता। परमात्मा ने तो काल को भी ठग लिया है जो दिखता तो धाणक है और ज़िंदा बन जाता है। आम व्यक्ति इसे नहीं पहचान सकता इसलिए प्रेम से नानक जी ने परमात्मा की ठगवाड़ा कहा है। नानक जी जीव को अपनी भूल बताते हुए कहते हैं कि मैंने परमात्मा से वाद विवाद किया फिर भी परमात्मा ने एक सेवक रूप में मुझे दर्शन दिए और स्वामी नाम से सम्बोधित किया। नानक जी क्षमाप्रार्थी होकर पश्चाताप करते हुए कहते हैं कि मुझ जैसा नीच और हरामखोर कौन होगा। नानक जी कहते हैं कि मैं भली तरह सोच विचार कर कहता हूं कि परमात्मा यही धाणक रूप है।

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