26/11 मुंबई आतंकी हमला: 12 साल पहले दहल उठी थी मायानगरी, गोलियों की तरतराहट से, जानिए क्या हुआ था उस दिन...
26/11 मुंबई आतंकी हमलाAdd caption |
साल 2008 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर एक आतंकी आतंकवादी हमला हुआ था जिसने भारत समेत पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था आज ही के दिन यानी 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया मुंबई को 60 घंटे के लिए बंधक बना लिया। इस आतंकी हमले को आज 12 साल हो गए हैं मगर यह भारत के इतिहास का मुंह काला दिन है जिसे कोई भूल ही नहीं सकते हैं इस को याद करके भी रूह कांप जाती है हमले में 160 से ज्यादा लोग मरे थे 300 लोग घायल हुए थे ।
जाने क्या हुआ था उस दिन......
कराची सेनाओं के रास्ते मुंबई में घुसे :
मुंबई हमलों की छानबीन से जो सामान आया है बताया है कि 10 हमलावर कराची सेनाओं के रास्ते में मुंबई आए इस नाव पर चार भारतीय सवार थे जिन्हें किरान किनारे तक पहुंचते-पहुंचते खत्म कर दिया गया रात के तकरीबन 8:00 बजे थे जब भी हमलावर को लाभ के पास कब परेड में मछली बाजार पर उतरे वहां से वे चार ग्रुपों में बैठ गए और टैक्सी लेकर अपनी मंजिलों का रुख किया।
मछुआरों को था शक:
कहा जाता है कि इन लोगों के आपाधापी को देखकर कुछ मछुआरों को शक्ति हुआ उन्होंने पुलिस को जानकारी दी लेकिन इलाके की पुलिस ने इस पर कोई खास तवज्जो नहीं दी ना ही आगे बड़े अधिकारियों या या खुफिया बलों को जानकारी दी। यह उनकी एक लापरवाही रहे नहीं तो यह आतंकी हमला नहीं होता इस हमले को वहीं पर रोक दिया जा सकता था।
दो आतंकियों ने उतार दिया था 52 लोगों को मौत के घाट रात के तकरीबन 9:30 बजे के मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर गोलाबारी की खबर मिली थी आतंकवादी वहां गोलाबारी करने लगे मुंबई के इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन के मेन हॉल में दो हमलावर घुसे और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। इनमें से एक मोहम्मद असलम कसाब की फांसी मिल चुकी है।
दोनों के हाथ में एक के फोटो सेवन राइफल थी और 15 मिनट में ही उन्होंने 52 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 200 लोगों को जख्मी किया।
कई स्थानों पर हुई थी गोलाबारी:
आतंक का यह खेल सिर्फ शिवाजी टर्मिनल तक सीमित ना था दक्षिणी मुंबई का लियोपोल्ड कैफे भी उनमें से एक था जहां 3 दिन तक चले इस हमले के शुरुआती निशानी निशाने थे इस मुंबई के नामचीन रेस्टोरेंट में से एक हैं इसीलिए वहां पर गोलाबारी में 10 लोग विदेशी भी मारे गए जबकि बहुत से घायल हुए। 1871 से मेहमानों की खातिरदारी कर रहे लियोपोल्ड कैफे की दीवारों में धंसी गोलियों के निशान छोड़ गई।
12 साल पहले दहल उठी थी मायानगरी गोलियों की तरतराहट से |
3 बड़े हमले:
शायद दुनिया मुंबई के इन हमलों से ज्यादा नहीं देहलती लेकिन इसमें तीन बड़े मोर्चे हमले हुए मुंबई के ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस में हमले हुए जब हमला हुआ। तो ताज में 450 लोग ओबरॉय में 380 लोग मौजूद थे इसमें काफी लोगों की जन धन हानि हुई। खासतौर से ताज होटल की इमारत से निकलता दुआ तो बाद में हम लोगों की पहचान बन गया लाइव मीडिया कवरेज से आतंकियों को मदद मिली।
अगली सुबह यानी 27 नवंबर को आई खबर से ताज में सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ा तो पता चला कि हमलावरों ने कुछ और लोगों को भी बंदर बना रखा है जिसमें कई विदेशी भी शामिल है हम लोग के दौरान दोनों ही होटल रैपिड एक्शन फोर्स मैरीन कमांडो और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड कमांडो से घिरे रहे। हमलों की लाइव मीडिया कवरेज ने भी आतंकियों की खासी मदद की कहां क्या हो रहा है यह सब उनको अंदर टीवी पर दिख रहा था।
लगातार तीन दिन तक जूझते रहे सुरक्षा बल:
इस आतंकी हमले में आतंकवादियों के पास Ak47 थी और वह पूरी प्लानिंग के साथ आए थे उन्होंने काफी लोगों को बंधक बना लिया था 3 दिन तक सुरक्षा बल उनके साथ जूझते रहे।
संकट में त्वरित निर्णय की व्यवस्था
सरकार ने संकट की घड़ी में त्वरित निर्णय लेने का एक तंत्र स्थापित किया है। अब इसके लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता और कई विभागों का मुंह नहीं ताकना पड़ता। इसका सबसे अछा उदाहरण पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकाने पर हुआ हमला ही है। पुलवामा में पिछले साल आतंकी हमले के बाद सरकार ने तुरंत फैसला किया और 15 दिन के अंदर पाकिस्तान को इसका जवाब मिल गया।
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