Father's Day 2020 in Hindi: "पिता" ये एक शब्द नहीं, एक पूरा संसार है।
अपने बच्चों के लिए खुशियां खरीदने के लिए वह अपने ख्वाहिशें तक दबा देता है। और शायद इसलिए ही कहते हैं कि पिता ईश्वर का रूप होते हैं क्योंकि क्योंकि भगवान के अलावा ऐसे दूसरे किसी के भीतर ऐसे गुण कहां हो सकते हैं।
हमारी भारतीय संस्कृति में माता और पिता दोनों का ही स्थान हमेशा सर्वोच्च रहा है।
वैसे तो हमारी संस्कृति में बहुत से त्यौहार व दिवस मनाए जाते हैं और इसी क्रम में प्रत्येक वर्ष जून के तीसरे रविवार को "इंटरनेशनल फादर्स डे" (International father's day) मनाया जाता है।
हर एक व्यक्ति के लिए यह महत्वपूर्ण है। एक पिता जो अपने बच्चों के लिए हर समय तत्पर रहता है जितना संभव होता है हर खुशी देता है तो हमारा भी फर्ज बनता है कि कम से कम साल का यह खास दिन तो हम अपने पिता को समर्पित करें उनके त्याग और परिश्रम को चुकाया तो नहीं जा सकता लेकिन हम उन्हें यह एहसास तो दिला ही सकते हैं कि उन्होंने हमारे लिए क्या कुछ किया है।
MRIS, Mohali celebrates Father’s Day 2020
— Manav Rachna Schools (@MrisEdu) June 20, 2020
During virtual #FathersDay Celebrations, children of MRIS, Mohali along with their teachers, left no stone unturned to make this day special for their superheroes- their fathers! pic.twitter.com/z590WHUTGp
इसलिए यह वह दिन है जब हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं उन्हें वह अपनापन महसूस करा सकते हैं जिससे वह अपने बुढ़ापे में सुरक्षित महसूस कर सकें। उनको यह एहसास करा सकते हैं कि आज मैं जो भी हूं वह आपके बिना संभव नहीं था।
आज हम जितने भी सफल व्यक्तियों को देखते हैं तो उनके जीवन की सफलता में उनके पिता की भूमिका सबको नजर आएगी।
उन्होंने अपने पिता से प्रेरणा ली होती है और उनको अपना आदर्श माना होता है। इसके पीछे सिर्फ यही कारण होता है कि उसके पिता ने उसे अच्छे संस्कार दिए हैं वह अच्छे संस्कारों के नीचे पला- बड़ा है।
यह संसार बहुत बड़ा है और इसमें लोग भी भिन्न प्रकार के हैं. पर यह कहा जा सकता है कि अपने बच्चे के लिए हर पिता बेहतर कोशिश करता है, अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा! इसलिए वह तारीफ़ के काबिल तो होता ही है. अपने पिता से अफ़सोस और शिकायतें तो सिर्फ वो लोग करते हैं जिन्होंने जिंदगी में अपने आप को साबित नहीं किया वरना हर पिता का जीवन सीखने योग्य होता है. पिता ही दुनिया का एक मात्र शख्स है, जो चाहते है कि उसका बच्चा उससे भी ज्यादा तरक्की करे, उससे भी ज्यादा नाम कमाये. इसके लिए वह कई बार सख्त रूख भी अख्तियार करते हैं, क्योंकि जीवन में आगे बढ़ने के लिए 'अनुशासन' का सहारा लेना ही पड़ता है.
कोई व्यक्ति लाख बुरा हो लेकिन उसकी अपनी संतान को वह अच्छी बातें और अच्छे संस्कार ही देता है ऐसे ही आपको कई उदाहरण देखने को मिल सकते हैं कि कोई व्यक्ति कितना ही बुरा हो,नालायक हो लेकिन अगर वह पिता बनता है तो अपनी गंदी आदतें छोड़ कर अपने बच्चों पर उसका असर नहीं पड़ने देता और उन्हें अच्छे से अच्छे संस्कार देने की कोशिश करता है।
अपने बच्चे के लिए हर पिता बेहतर कोशिश करता है अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा।
इसलिए वह तारीफ के काबिल तो होता ही है।
पिता ही इस दुनिया का एकमात्र ऐसा शख्स है जो चाहता है कि उसका बच्चा उससे भी ज्यादा तरक्की करें। उससे भी ज्यादा नाम कमाए।
इसके लिए वह कई बार सख्त रुख भी अख्तियार करते हैं क्योंकि जीवन में आगे बढ़ने के लिए अनुशासन का सहारा लेना ही पड़ता है।
हालांकि बदलते जमाने के साथ पिता का स्वरूप भी बदला है और हमेशा गंभीर और कठोर दिखने वाले पिता की जगह अब अपने बच्चों के संग खेलने और मस्ती करने वाले पिता ने ले लिया है।
समय के साथ बदलाव तो स्वभाविक है ही लेकिन पिता के कर्तव्य में कोई बदलाव नही आयेगा और यही हमारी संस्कृति रही है।
बदलते ज़माने और रोजगार की जरूरतों की वजह से आज हम में से कई अपने माता-पिता से दूर हो गए हैं। ऐसे में हम उन बुजुर्ग कदमों को चाह कर भी सहारा नहीं दे पा रहे हैं।
उनका अकेलापन नहीं दूर कर पा रहे हैं, तो मन में बस एक टीस भर जाती है अपनों के लिए।
जो बेहद बेचैन करती है ऐसे में हमें विभिन्न अवसरों, त्यौहारों पर उन्हें समय अवश्य ही देना चाहिए।
बेशक वह अवसर फादर्स डे ही क्यों न हो...!
हालाँकि, आज संयुक्त परिवारों के बिखण्डन से बुजुर्ग माँ-बाप की समस्याएं कहीं ज्यादा विकराल हो गयी हैं।
'बागवान' जैसी फिल्में हम देख ही चुके हैं और यह समाज की सच्चाई सी बन गयी है।
जहाँ बच्चे बस अपने माँ-बाप की संपत्ति से मतलब रखते हैं, लेकिन उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को अनदेखा कर देते हैं।
जाहिर है, संस्कार कहीं न कहीं बिगड़े हैं और इसे सुधारने का प्रयत्न करना ही 'फादर्स डे' की सार्थकता कही जाएगी।
अन्यथा फिर यह अन्य 'पश्चिमी औपचारिकताओं' की तरह 'औपचारिकता' बन कर रह जायेगा।
एक कविता पिता के नाम
पापा♥️बहुत दिनों के बाद
आज कविता एक आई है
शायद इतने सालों में यह
पहली बार है पापा
कि आपके लिए
पैन चलाई है...!
सोचा था कुछ बढ़िया सा
लिखकर सुनाएंगे
क्या पता था पन्ने मेरे
शिकायतों से भर जाएंगे..!
शुक्रिया है उसका कि
उसने तुम्हारे यहां जन्म दिया..!
कम से कम उन कुछ लड़कियों की तरह सास कम हमने ना लिया..!
फेंका नही तुम्हे हमे
लड़की जात जानकर..!
दिल खुश है पापा
तुम्हारा ये अहसान जान
कर...!
इतना ही नहीं बहुत सी जोड़ी है तुमने हमारे लिए कमाई..!
आज के जमाने में भी है तुमने दो-दो बेटियां है पढ़ाई...!
पढ़ाई दी, कपड़े दिए
खाना दिया खाने को..!
थोड़ा सा ज्ञान मेरा
पापा काम तो आने दो...!
कमजोर समझ कर अपनों को
तुम गैरों में बैसाखी ढूंढते रहे..!
हम यहां सहारा देने
पापा आप ही को ढूंढते रहे...!
फूल से हैं भले ही हम
लेकिन
नहीं है नाजुक हम....!
एक बार तो आजमा लो पापा
आपकी इज़्ज़त के चाबुक है...!
इतने बड़े संसार मे ला कर
कहते हो कि आँखे बंद करलो..!
नियत खराब होती है किसी ओर की
और हमसे कहते हो कपड़े बदलो...!
आधे सफर तक तो खूब
बगावत करी आपने सबसे
आधा सफर और है पापा
थोड़ा और सहारा ले लो हमसे...!
एक बार फिर से थोड़ा
समझदार बन जाओ ना पापा
बेटी की शकल वाली को
बेटा मान लो ना पापा...!
कमी नहीं है कोई तुम्हारी बेटी में
खून आपका सा ही तो है मेरी रगों में...!
लड़कों की तरह हमें भी
उबाल आता है लेकिन
हर बार गुस्सा आने पर
हमें क्यों माला थमा दी जाती है...!!
लड़का कम नहीं
लड़की से यह तो
हम मानते हैं
लड़कियां भी लड़का बन सकती है लेकिन क्या आप यह जानते हैं...?
एक बार, बस एक बार
पापा मौका तो दे दो...!
जी खोल कर एक बार
मेरे पंख दे दो
उड़ उड़ कर सारी
खुशियां लाऊंगी पापा
बेटी बनकर आई हूं
बेटा बनकर जाऊँगी पापा....!
तो इस बार इस फादर्स डे को सार्थक बनाएं और अपने पिता को यह एहसास दिलाएं कि
आज आप जो भी हो है वह सब उनकी देन है।
अगर वह है तो आप हो...!
नहीं तो कुछ भी नहीं..!
Wonderful 👌 great message ☺️
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