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Sunday, August 30, 2020

Happy Onam Festival 2020: ये नहीं करना ओणम पर्व पर

Happy Onam Festival  2020: ये नहीं करना ओणम पर्व पर 

Happy Onam Festival  2020


ओणम त्योहार दक्षिण भारत के राज्य केरल का प्रमुख त्योहार है। ओणम केरल में 10 दिनों तक चलने वाला त्योहार है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार श्रावण नक्षत्र को थिरु ओनम के नाम से जाना जाता है। इस दिन इस नक्षत्र के प्रबल होने पर थिरु ओणम की पूजा होती है। 10 दिनों तक चलने वाले ओणम का अंतिम दिन बहुत ही खास होता है। ओणम पर्व में 10 दिनों तक अलग-अलग तरह से पूजा की जाती है जो इस प्रकार है- 1.  एथम  2. चिथिरा 3. चोधी 4. विसाकम 5. अनिज़ाम 6.थ्रिकेता 7. मूलम 8. पूरादम 9. उथिरादम 10. थिरुवोणम।


ओणम के 10 दिन यानी थिरुवोणम पर राजा महाबली अपने राज्य की प्रजा से मिलने आते हैं। ऐसे में इस दिन सभी नगरवासी अपने राजा के स्वागत में घरों को फूलों से सजाते हैं और अच्छे-अच्छे पकवान तैयार करते हैं। इस पर्व के मौके पर अपने करीबियों, दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों को ओणम की हार्दिक  शुभकामनाएं दें।


ओणम (Onam Festival) दस दिनों तक मनाया जाता है।


लोक मान्यताओं के अनुसार ओणम (Onam Festival) दस दिनों तक मनाया जाता है। Happy Onam 2020

अथं: पहला दिन होता है। जब राजा बली पाताल से केरल जाने की तैयारी करते हैं।

चिथिरा: दूसरा दिन होता है। तब फूलों का कालीन जिसे पूक्क्लम कहते हैं, बनाना शुरू करते हैं।

चोधी: तीसरे दिन होता है। पूक्क्लम में 4-5 तरह के फूलों से अगली लेयर बनाते हैं।

विशाकम: चौथा दिन होता है। इस दिन से तरह तरह की प्रतियोगितायें शुरू हो जाती हैं।

अनिज्हम : पांचवा दिन होता है। इस दिन नाव की रेस की तैयारी होती है।

थ्रिकेता: छटवां दिन होता है। इस दिन से छुट्टियाँ शुरू हो जाती हैं।

पूरादम: आठवां दिन होता है। तब बली और वामन की प्रतिमा घर में स्थापित की जाती है।

उठ्रादोम: नोवां दिन होता है। इस दिन बली पाताल लोक से केरल प्रांत में प्रवेश करते हैं।

थिरुवोनम/थिरूओनम: यह दसवां दिन होता है जिस दिन ओणम का मुख्य त्यौहार मनाया जाता है।

Happy Onam Festival  2020: ये नहीं करना ओणम पर्व पर



Happy Onam 2020 क्यों मनाया जाता है ओणम- पौराणिक कथा

ओणम का त्योहार राज्य के सभी नगरवासी अपने  राजा महाबली के नगर भ्रमण आने पर उनके स्वागत में मनाते हैं। राजा बलि असुराज होने पर भी भगवान विष्णु के भक्त थे। मान्यता है कि साल में एक बार पाताल लोक से राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं। इस दिन वामन अवतार और राजा बलि की पूजा के साथ उनका स्वागत किया जाता है। 


ये नहीं करना ओणम पर्व पर  शास्त्रविरुद्ध पूजा करना अंधश्रद्धा भक्ति है

ओणम (Onam) पर जितनी भी शास्त्र विरुद्ध क्रियाएं करते हैं यह सब व्यर्थ साधना में गिनी जाती हैं जैसे – कई तरह के फूलों से कालीन (पुक्कालम) बनाना एवं नाचना गाना, नाव रेस और अन्य प्रतियोगिताएं आदि आयोजित करना। गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में प्रमाण है कि शास्त्रविधि को त्यागकर जो साधक मनमाना आचरण करते हैं उन्हें न तो सुख प्राप्त होता है , न सिद्धि प्राप्त होती है और न ही परम गति यानि पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है अर्थात् व्यर्थ प्रयत्न है। ( गीता अध्याय 16 श्लोक 23 ) इससे तेरे लिए अर्जुन ! कर्तव्य यानि जो भक्ति कर्म करने चाहिए और अकर्तव्य यानि जो भक्ति कर्म न करने चाहिए , उसके लिए शास्त्र ही प्रमाण हैं यानि शास्त्रों को आधार मानकर निर्णय लेकर शास्त्रों में वर्णित साधना करना योग्य है । ( गीता अध्याय 16 श्लोक 24 )।


परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि

गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देते दान।

गुरु बिन दोनों निष्फल हैं चाहे पूछो वेद पुराण।।


अर्थात गुरु के बिना यज्ञ, हवन तथा भक्ति करने से मोक्ष संभव नहीं है। Happy Onam 2020




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